बात उस समय की है जब हिंदुस्तान और पाकिस्तान एक था। उस समय धर्म को सिर्फ किताबो में पढ़ा जाता था। सभी लोग हँसी खुशी रहते थे। सभी त्योहार मिल जुल कर मनाते थे। फिर चाहे वो ईद हो या दीवाली। ईर्ष्या का तो कोई नाम भी नहीं जानता था। हर कोई एक दूसरे की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे।ऐसा ही एक छोटा सा गांव हमारा भी था। जिसका नाम था धुद्दी जिला फरीदकोट (वर्तमान पाकिस्तान)।हमारा गांव बहुत ही प्यार था। हमारे गांव में आधे घर मुसलमानों के थे और आधे घर हिंदुओं के थे। ये बात