कल तक जो केवल मकान थे रातों-रात निवास हो गए

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खंडित सब विश्वास हो गए आयोजन उपहास हो गए अब हम उन्हें नहीं दिखते हैं उनके कितने पास हो गए इतनी सी है राम कहानी राजतिलक बनवास हो गए घटना स्थल से दूर रहे जो आज वही इतिहास हो गए रिश्तो में काफी घनत्व था अब वे बिखर कपास हो गए हम तो बने रहे वैरागी तुम कैसे मधुमास हो गए इतनी प्रगति नगर में नहीं है सार्वजनिक पद खास हो गए कल तक जो केवल मकान थे रातों-रात निवास हो गए सिसक सिसक कर मेरी मन-वीणा के तार अभी सोये हैं