लल्लन ने गौरीबदन संग उठना-बैठना तेज कर दिया था ठीक इसी तरह पंकज की नाहर सिंह के साथ नजदीकियाँ बढ़ने लगीं।राजनीति में स्थायी दोस्त और दुश्मन कोई नही होता।गौरीबदन का लल्लन को साथ लेना अकारण नही था।गौरी ने तीन दशकों तक राजनीति की थी सो वह गांव की आबो-हवा को बहुत अच्छे से जानते-समझते थे।पिछले चुनावों में भी गौरी को शुकुल के हाथों लल्लन की दुर्गति पहले से पता थी।वह जानते थे कि शुकुल उसका इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन तब भी यदि उन्होंने इसकी भनक लल्लन को नही लगने दी तो इसके पीछे भी कारण था। गौरीबदन को पता