असत्यम्। अशिवम्।। असुन्दरम्।।। - 27 - अंतिम भाग

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27 माधुरी को सम्पूर्ण प्रकरण की जानकारी थी । मगर इस तरह के हल्के-फुल्के मामलेां की वो जरा भी परवाह नही करती थी । वैसे भी संस्था के विभिन्न दैनिक कार्यक्रमों में वो दखल नही देती थी । अनुशासन के नाम पर तानाशाही चलती थी मगर वो मजबूर थी । माधुरी अपना ज्यादा ध्यान विश्वविधालय में लगाती थी । विश्वविधालय तथा इससे सम्बन्धित महाविधालयों की राजनीति ही उसे रास आती थी । नेताजी का सूर्य अस्त हेाने के बाद उसने कल्लूपुत्र को साधने के लिए कल्लू मोची को विश्वविधालय की प्रबन्धन -समिति में अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधि के रूप में