३६. परिवर्तन अब आरिणी ने अपना सारा ध्यान जॉब की ओर लगा दिया. कॉलेज की पढ़ाई से अलग होती है व्यवहारिक दुनिया, यह कुछ ही हफ़्तों में समझ आ गया था उसे वह सारा समय समर्पण के भाव से काम करती, नई टेक्नोलॉजी को सीखने-समझने और जानने में समय देती. शेष समय में स्वयं पर भी ध्यान देती. लेकिन आरव का ख्याल भी किसी साये की तरह पीछे लगा रहता… उसकी दवाई का समय होता तो वह चिंतित हो जाती कि पता नहीं ली भी होगी या नहीं…. ऐसे में वह वर्तिका को फोन कर उसी से अनुरोध करती. उधर