360 डिग्री वाला प्रेम - 33

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३३. नाउम्मीदी दिन बीत गया. शाम होते-होते आरिणी का बुखार अब हल्का लग रहा था. पर घर का वातावरण थोड़ा बोझिल था. आरव पूरे समय मौजूद था, लेकिन नीचे अपनी मम्मी के पास था या टी वी देखता रहा. उर्मिला जी भी देखने नहीं आई आरिणी को. उसे आरव की बहुत चिंता हो रही थी. सोचा कि अनायास काम के दबाव से क्रोध आया होगा, और क्रोध में हमारा विवेक हमें जिस रास्ते पर धकेलता है, उसी पर हम चल पड़ते हैं… बिना सोचे-समझे. पर कहीं यह बिगडती बीमारी का लक्षण तो नही ? शाम को बाई आ गई थी,