360 डिग्री वाला प्रेम - 32

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३२. अनपेक्षित परिणति आरिणी वापिस अपने कमरे में आ कर लेट गई. थकान और बढ़ गई थी. शायद बुखार भी चरम पर था. थर्मामीटर देखने की भी हिम्मत नहीं थी. इतने में ही आरव आया. न जाने क्या हुआ कि वह बहुत गुस्से में चिल्लाने लगा, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी मां से ऐसे बात करने की… अब वो किचेन में गंदे बरतन साफ़ करेंगी और तुम आराम करोगी… तुम उन्हें हुकुम दो यह नहीं चलेगा”. आरिणी का शरीर ज्वर से तप रहा था, मन भी ठीक नहीं था, ऊपर से आरव का यह आक्रोश असहनीय था. उसने उठकर बैठने