वचन--भाग(४) प्रभाकर को देखते ही कौशल्या बोली___ तू आ गया बेटा!तूने तो कहा था कि तुझे कुछ ज्यादा दिन लग जाएंगे, सबसे मिलकर आएगा लेकिन तू इतनी जल्दी आ गया।। हाँ,माँ! यहाँ की चिंता थी कि दुकान कैसीं चल रही होगीं और दिवाकर ठीक से पढ़ रहा होगा कि नहीं, प्रभाकर ने कौशल्या से कहा।। कितनी चिंता करता है बेटा! तूने हम सब के लिए अपनी पढ़ाई तक छोड़ दी,तेरे जैसा बेटा भगवान सबको दे,कौशल्या प्रभाकर को आशीष देते हुए बोली।। मेरी मेहनत तो तब सफल होगी माँ,जब मैं दिवाकर को पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बना दूँगा,बस