अजीब दास्तां है ये.. - 10 - अंतिम भाग

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(10) उसकी आँखों को देखकर रेवती पहचान गई कि वह उपेंद्र है। वह डरकर मुकुल के पीछे छिप गई। उपेंद्र ने कहा, "मैं कहता था ना कि तुम औरतें धोखेबाज़ होती हो। मुझे जेल भिजवाकर इसके साथ ऐश कर रही हो।" मुकुल समझ रहा था कि इस समय ज़रा सी चूक भारी पड़ सकती है। उसे बड़ी होशियारी से काम लेना होगा। उसने खुद को संयत करके कहा, "देखो तुम कोई ऐसी वैसी हरकत मत करो। पुलिस तुम्हें तलाश रही है।" "मुझे पता है कि पुलिस मेरे पीछे है। फिर भी खुद को खतरे में डालकर यहाँ आया हूँ। मेरे