कविता - बिटिया

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हर एक लड़की के जीवन में उसके पिता का अहम् स्थान होता है | मेरी जिंदगी में मेरे पापा का भी सबसे ऊँचा स्थान है | आज मेरे पापा मेरे मेरे साथ नहीं हैं पर उनका आशीर्वाद और उनकी यादें हमेशा मुझे प्रेरित करती रहेंगीं | कविता – ‘बिटिया’ ‘मैं’ पापा की प्यारी ‘बिटिया’, उनके अँगना की नटखट – सी गुड़िया, सबको नाच नचाती ऐसे कि सब कहते- आ गई ‘आफ़त की पुड़िया’, जब भी मम्मी घर के काम सिखाती तब मैं हरदम नाक चढ़ाती, माँ गुस्से से जब आँख दिखाती, मैं झट से पापा के पीछे छिप जाती,