स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं - 3

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स्‍वतंत्र सक्‍सेना की कविताएं काव्‍य संग्रह सरल नहीं था यह काम स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना सवित्री सेवा आश्रम तहसील रोड़ डबरा (जिला-ग्‍वालियर) मध्‍यप्रदेश 9617392373 सम्‍पादकीय स्वतंत्र कुमार की कविताओं को पढ़ते हुये वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’ कविता स्मृति की पोटली होती है| जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कवि के मन में निरंतर चलता रहता है| सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे को उड़ाते हुए सजग कवि अपनी स्मृतियों को अद्यतन करता रहता है, प्रासंगिक बनाता