मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय एक कोई भूखा मंदिर इस उम्मीद में जाय कि उसे एक दो लड्डू या बूंदी मिल जाय तो रात आराम से निकल जाएगी और वहाँ से मिले मक्खन मलाई का दोना तो जो हालत उस भूख के मारे बंदे की होगी , बिल्कुल वैसी ही हालत इस समय मेरे माता पिता का थी । मागा था एक लड्डू । न सही लड्डू , मलाई का दोना तो मिला । शुक्र करते बार बार सिरजनहार का । मेरे जन्म का स्वागत मेरे माँ – बाबा ने खुले दिल से किया था । करते