पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - 27

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चैप्टर 27 मध्य सागर। पहले तो मुझ कुछ भी नहीं दिखा। अचानक से दीप्तिमान प्रकाश को देखकर मेरी आँखें चौंधिया गयीं थीं, इसलिए पहले मुझे अपनी आँखें बंद करनी पड़ी। फिर मैंने धीरे-धीरे आँखों को खोला और देखते ही इतना विस्मित था कि चुप हो गया। मैंने कभी किसी सपने में भी ऐसे किसी दृश्य की कल्पना नहीं की थी। "ये तो समुद्र है! समुद्र है ये!" मैं चिल्लाया।"हाँ," मौसाजी ने एक रौबदार आवाज़ में कहा, "ये मध्य सागर है। भविष्य में मेरे इस खोज को कोई नकार नहीं पाएगा इसलिए इसके नामकरण पर मेरा अधिकार है।"ये एक सच था।