सूर्यबाला महिलाओं को मालूम है कि जिस तरह हर सफल पुरुष के पीछे कोई महिला होती है उसी तरह हर असफल महिला के पीछे भी कोई-न-कोई पुरुष होता है। आप भी माने या न मानें, स्त्री - स्वातंत्र्य या महिला-मुक्ति का आंदोलन भी, जो माकूल स्पीड नहीं पकड़ पा रहा, उसके पीछे भी यही कारण है। इसे यों समझिए कि अपने हिंदुस्तान की जनसंख्या के हिसाब से, बेहिसाब तादात में महिलाएँ, सामाजिक-राजनीतिक विकास की गाड़ी पकड़ने को चुस्त-दुरुस्त तैयार है। इंजन ने सीटी भी मार दी। महिलाएँ हचककर फुटबोर्ड पर लटक भी लीं, लेकिन, चक्का जाम! भई, यह तो वही