आजादी - 24

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साजिद अब पूरी बात समझ चुका था । अब उसके चेहरे पर इत्मीनान के भाव थे । कालू भाई का फैसला भी उसे अब पसंद आ रहा था ।बाबा भोलानंद का आश्रम उसके लिए नया नहीं था । बाबा के भक्तों की बड़ी तादाद विदेशों में रहती है । आश्रम में आने पर बाबा के आह्वान पर ये लोग आश्रम के बाहर बैठे भिखारियों को दिल खोलकर दान देते हैं । यही बात आश्रम के लिए फायदेमंद थीं और अब सौदा हो जाने के बाद वो सारा फायदा कालू भाई को मिलनेवाला था ।अचानक कालू उठ खड़ा हुआ और साजिद