रत्नावली रामगोपाल भावुक अत्ठरह राजापुर के घाट से गोस्वामी जी को लोग विदा करके आये थे, उसी दिन से उनके मन में काशी की यात्रा करने की बात बारम्बार आती रहती थी। जब भी दो तीन बुजुर्ग मिलते, तीर्थ यात्रा पर जाने की योजना बनाने लगते। गणपति इस योजना में विशष् भूमिका निभाने लगे। कुछ लोगों को साथ चलने के लिए उकसाने लगे। धीरे-धीरे कुछ लोगों के मन यात्रा पर जाने के लिए बन गये। अब रत्ना मैया को तैयार करने का काम ही शेष रह गया। रत्नावली अब रत्ना मैया के नाम