अध्याय -18 " हां,हां,नंदिनी ये राघव ही था । मेरा राघव । " रीनी ने भावुक होते हुए कहा । " अच्छा । " नंदिनी की आखें आश्चर्य से फैल गई । राघव ही रघु है, यह जानकर नंदिनी और रीनी दोनों स्तब्ध थे । ऑफिसरों ने रघु का पीछा किया, पर रघु अंधेरे का फायदा उठाकर नौ दो ग्यारह होने में कामयाब हो चूका था । ' सालों बाद राघव दिखा भी तो इस तरह से । एक गुंडे के रूप में । ' यह सोचकर रीनी