डॉक्टर समीर: मैं मानस चिकत्सक डॉक्टर समीर। यह मेरा असली नाम नहीं हैं। इस कहानी में सारे नाम काल्पनिक हैं। क्योंकि पेशंट का नाम बताना इथिक्स के खिलाफ़ है। इसलिए तो मैं दुविधा में फँस गया हूँ। मुझे आपका मशवरा चाहिए। नाम बदलकर मैं सारी हक़ीक़त आपको सुनाता हूँ। जी हाँ, हक़ीक़त कोई कहानी या अफ़साना नहीं। प्रोफेसल माहोरकर की बीवी, साधना, उन्हें मेरे क्लिनीक ले आई थी। माहोरकर के चेहरे पर दिखनेवाली शांती दिखाऊ है, यह बात उनके सिकूडकर बैठने के ढंग से उजागर होती थी। हमारी बातें सुनने के लिए उन्हें ऐसे कष्ट हो रहा था जैसे किसी