" दीदी, आज सुबह....!"दीपक कुछ और बोलता कि इतने में नंदिनी के मोबाइल की घण्टी बज उठी।" दीपक, एक जरुरी कॉल है। मैं बात करके आती हूँ। तब तक तुम इसे खाओ।" यह कहकर नंदिनी ने फल व ड्राईफ्रूट की प्लेट उसकी तरफ बढ़ा दी।" ठीक है दीदी। आप बात करके आओ। मैं आपका इंतजार करता हूं।""ओके, भाई।" नंदिनी ने दीपक के सर पर प्यार से हाथ रखा और कमरे से बाहर निकलकर वह बालकनी पहुंची।" हां, नितिन! बोलो। कुछ पता चला उसका? कहां है वो?"" नंदिनी, हर जगह खोजा। उसके गांव भी। पर कोई पता नहीं चला। सिर्फ इतना