कुछ ख़्वाब अधूरे से

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बहुत पहले एक फ़िल्म आई थी... 'जागते रहो'... उसमें एक गाना था...ज़िन्दगी ख्वाब है... ख्वाब में झूठ क्या और भला सच है क्या... आज सोचती हूँ कि क्या वाकई ज़िन्दगी ख्वाब है... शायद हाँ... शायद नहीं... या... कुछ ख्वाब और कुछ हकीकत... दोनों का मेल ही तो ज़िन्दगी है। जिंदगी को खूबसूरत बनाने के लिए तीन चीजें जरूरी हैं... ख्वाब, उम्मीद और प्यार। गहरी नींद की आगोश में देखे गए सपने हमारे अवचेतन में रही किसी अतृप्त इच्छा के प्रतिरूप होते हैं, जो कि जागने के बाद गायब हो जाते हैं। खुली आँखों से देखे सपने हमें कर्मशील बनाते हैं। गुजरा