मेरी अधूरी कहानी

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बात उन दिनों की है जब मैं 8वी कक्षा मे था। ठंडी का मौसम था,खूब कड़ाके की ठंड पड़ रही थी,मैं अपने कक्षा में जूते मौजे हाथ में दास्ताने पहने हुये और कान पर मफलर बांध कर कक्षा में दाखिल होते हुए अपने अध्यापक जी से क्या में अंदर आ सकता हूँ,क्योकि उस दिन मैं समय से 20 मिनट की देरी से था। पूरे कक्षा में सन्नाटा पसर गया मानो जैसे मैंने कोई गुनाह कर दिया हो,तभी अध्यापक जी ने मुझे अंदर आने को कहा। और मैं अंदर दाखिल हुआ, तभी अचानक मुझे एक बदलाव दिखा,कि मेरी बेंच कुर्सी पर