(५) चार महीनों बाद दीवाली के बाद एक सादे समारोह के रूप में करीबी रिश्तेदारों की हाजरी में नैतिक और श्रेया की शादी सम्पन्न हो गई । श्रेया को इस बार अपनी मम्मी का घर छोड़कर अपने अरमानों के घर में गृह प्रवेश करते वक्त न रुलाई फूटी और न कुछ पीछे छूट जाने का अहसास हुआ । उसके लिए नैतिक के घर आना उतना ही आसान था जितना की किसी का एक ही मोहल्ले में एक घर खाली कर दूसरे घर जाना । ‘नैतिक, दस दिन हो गए पर तुमने अभी तक नहीं बताया कि हम अपना हनीमून कहां