दूध का दरिया एक वरदान बना अभिशाप - 4

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अब तक आपने पढ़ा किस तरह रणविजय मुंबई से नाहरगढ़ आता है ,और सांप से उसका सामना होता है ।अब पढ़िए आगे-सांप से बचने के लिए जैसे ही रणविजय है दीवार को पार कर दूसरी तरफ आता है ।उस सुनसान जगह पर बेहोश कनक को देखकर वह और घबरा जाता है ।"कनक तुम यहां कैसे ,कनक क्या हुआ तुम्हें ,उठो यह मैं हूं रणविजय ।"कनक को होश में लाने की रणविजय पूरी कोशिश करता है।धीरे-धीरे कनक उसको होश आता है और -"मैं यहां कैसे और तुम ,तुम तो वही हो जिसमें उस दिन सापँ से मेरी जान बचाई थी और