बजट - ‘‘हमें का मालूम’’ ? (व्यंग्य कथा)

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बजट - ‘‘हमें का मालूम’’ ? (व्यंग्य कथा) वो बूढ़ा धीमे कदमों के साथ अपनी झोपड़ी में दाखिल हुआ । झोपड़ी में एक ओर मिट्टी का चूल्हा ,एक ओर कुछ कथड़ियों के रुप में बिस्तर और जमीन पर पड़ी हुई बोरी कुल मिला कर कहा जाए तो एक ही कमरे में रसोई से शयन कक्ष तक सभी कुछ है । बुढ़िया झोपड़ी के बाहर से जलाने के लिए लकड़ियॉं लेकर आती हुई बोली ‘‘बजट का खेला देख आए का ?’’ बूढ़ा बीड़ी के टोटे को सुलगाता हुआ बोला ‘‘काहे का खेला ? हुआं पंचायत मा सबहीं