"थैंक्स।इतने बड़े महानगर में अगर तुम न होते तो"दोस्ती मैं थैंक्स कैसा?तुम्हारा दोस्त और रूम पार्टनर के नाते मेरा फर्ज था।तुम्हारी देखभाल करना।जो मैने निभाया।कोई एहसान नही किया है,तुम पर।मुसीबत में दोस्त ही काम आते है।""तुम सही कह रहे हो।लेकिन अतीत में हमारे संबंध कभी भी दोस्तो जैसे नही रहे।""कॉलेज की बाते हमारे अतीत का हिस्सा रही है।उन्हें मैं भूल चुका हूँ।तुम भी उनको भूल जाओ,"रचना की बाते सुनकर उमेश बोला,"मेरी जगह तुम होती,तो तुम भी वो ही करती जो मेने किया।"रचना की बीमारी ने उन्हें और करीब ला दिया था।पहले रचना उससे कम ही बोलती थी।लेकिन अब खूब बात