मुखबिर - रामगोपाल भावुक

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उपन्यास-मुख़विर- राजनारायण बोहरे डाकूजीवन पर एक बृहद उपन्यास कथाकार के आइने में मुखबिर उपन्यास समीक्षक रामगोपाल भावुक चंबल क्षेत्र का इतिहास काफी लम्बे समय से डाकुओं के जीवन से जुड़ा रहा है। याद आती है डाकू डोंगर बटरी की। सुना है वे कभी गरीबों को नहीं सताते थे बल्कि उनकी मदद करना उनका लक्ष्य था। वे गरीबों की लड़कियों के ब्याह का पूरा खर्च भी उठा ल्रते थे। वे लम्बे समय तक डाकू जीवन व्यतीत करते रहे और पुलिस के हत्थ्े चढ़ने से बचे रहे थे। कुछ डाकू ऐसे भी हुए