शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 14

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आसमान से गिरे सार्जेंट सलीम अपनी समझदारी की वजह से गुफा से बाहर आ गया था। उसने पहले उस बड़े से छेद से श्रेया को बाहर निकाला था और फिर खुद भी ऊपर पहुंच गया था। अब उसके सामने एक नई मुसीबत थी। वह एक दूसरी गुफा में पहुंच गया था। यानी आसमान से गिरे खजूर पर अटके। वह थक कर पथरीली जमीन पर लेट गया था। उसका इरादा सुस्ताने का था। काफी मेहनत की थी, उसने यहां तक पहुंचने के लिए। कुछ देर बाद उसे फिर से बाहर निकलने की कोशिश करनी थी। चारों तरफ गहरा अंधेरा था। हाथ