दूध का दरिया एक वरदान बना अभिशाप - 3

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घर पर आकर रणविजय दादाजी के सिक्रेट कमरे में जाता है और वह किताब ढूंढता है जिसमें नाहरगढ़ का जिक्र था।' कहां रखी ,कहां रखी वह किताब, यही तो कहीं देखी थी मैंने ,अरे !हां मिल गई '!!और उस किताब को लेकर उस कमरे से बाहर आ जाता है।तभी मां की आवाज उसके कानों में पड़ती है "बेटा आ जा खाना खा ले"।रात को अपने कमरे में रणविजय उस किताब को खोलता है कमरे में एक अजीब सा सन्नाटा छा जाता है जो उसे चौंका देता है।पर फिर भी रणविजय इस किताब को पड़ता है और पढ़ते-पढ़ते उसे नींद आ