सुलोचना - 9

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भाग-९ सुलोचना मदमस्त नार सी तैयार होने के लिए स्नान घर के भीतर चली गई और मणि उसे जाते हुए स्नेह से देखता रहा और सोचता रहा। “एम.के.दादा और सुनंदा दोनो ही इसकी कितनी प्रशंसा करते हैं और मैं बेकार ही उदासीन सा जीवन जी रहा था। वह अंग्रेज़ी सीख जाएगी फिर उसके मॉर्डन होते ही माँ को भी पसंद आने लगेगी सच में सुलोचना बहुत मासूम है।” तभी वह स्नान कर के बाहर आई उसके खुले अधभीगे केश और धुला हुआ चेहरा उसकी मासूमियत का क़िस्सा कह रहे थे। मणि अभी तक अपनी तक़दीर की लकीरें गिन रहा था