सुलोचना - 6

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भाग-६ सफ़र ख़त्म हुआ कार कोठी में प्रवेश कर रही थी पर ये दोनो ही सफ़र के और लम्बा होने की दुआ माँग रहे थे। मन के परवाज़ बड़े सशक्त होते हैं वह हर उस जगह तक बिना किसी रोक-टोक के पहुँच जाते हैं जहाँ तक वह जाना चाहते हैं। इस वक्त एम.के. और सुलोचना कार में बैठे हुए ही अपने मन के परवाज़ की उड़ान भर रहे थे। तभी कार रुक गई और उन दोनों की उँगलिया एक दूसरे की गिरफ़्त से अलग हो गईं एक दूसरे का एहसास अपनी उँगलियों में बसाए हुए। कार से उतरते ही सामने