सम्बल मोबाइल की घण्टी बजी, नीलमणि ने झट से मोबाइल उठाया और देखा, अरे वाह तिवारीजी का फोन है । झट से कान के लगाया और बतियाने लगी । दुनिया जहान की बातें । वैसे ऐसी कोई भी बात नहीं थी जो वो तिवारी जी से नहीं करती थी । समाज, साहित्य, राजनीति, आर्थिक विचार, वर्तमान परिदृश्य में युवा पीढी, स्त्री पुरूष सम्बन्ध और यहां तक की अन्तरंग सम्बन्धो पर भी । वैसे भी वो किसी भी विषय को वर्जित नहीं मानती थी । उसका मानना था कि जो कुछ इस सृष्टि में है तो वो वर्जित क्यों हो ।