स्वतंत्र सक्सेना की कहानियाँ संपादकीय स्वतंत्र कुमार सक्सेना की कहानियाँ को पढ़ते हुये वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’ कहानी स्मृति की पोटली होती है| जो कुछ घट चुका है उसमें से काम की बातें छाँटने का सिलसिला कहानीकार के मन में निरंतर चलता रहता है| सार-तत्व को ग्रहण कर और थोथे