एक पल

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सुधा जब से किट्टी पार्टी से लौटी है तभी से चुप है। जैसे कुछ सोच रही है। हाँ, सोच तो रही है वह। आज जो बातें किट्टी में हुई। वे बातें उसे थोडा आंदोलित कर रही है। कभी -कभी वह खुद अपने आप पर ही झुंझला जाती है कि वह दूसरी औरतों की तरह बेबाक क्यूँ नहीं है। क्यूँ नहीं वह उनकी बचकानी बातों का समर्थन कर खिलखिला कर हंसती। आज तो बहुत गम्भीर विषय था तो भी बातों का स्तर कितना हल्का था। बात दामिनी को ले कर चली थी। दामिनी के साथ जो हादसा हुआ और किस तरह