सिद्धपुरुष

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सिद्धपुरुष ‘आपसे एक हस्ताक्षर लेना है, मामा,’ अपने नाश्ते के बाद अपनी पहिएदार कुर्सी पर बैठा मैं अपना आई-फोन खोलने ही लगा हूँ कि युगल मेरे कमरे में आन धमका है| युगल माने, नंदकिशोर मेरा भांजा  व मालती, उसकी पत्नी| ‘कहाँ?’ मैं सतर्क हो लेता हूँ| ‘एक चेक पर,’ मेरे शरीर के बाँए भाग के फालिज-ग्रस्त हो जाने के बाद ही से बैंक की मेरी पासबुक्स के अपडेट्स, इनकम-टैक्स के मेरे सेवरज व म्युचल फन्ड के मेरे डिविडेन्ट्स सब नंदकिशोर ही देखता है| ‘ठेकेदार नया एडवान्स माँग रहा है,’ मालती कहती है, ‘बाथरूम पुराने बजट में फिट नहीं हो रहे