मोहन पत्नी की बाते सुन लेता तो उसे डांटता।उसे समझाता।पर व्यर्थ।दुर्गा पर पति की डांट या प्यार से समझाने का कोई असर नही पड़ता था।देवेन चाची से दूर दूर रहने का ही प्रयास करता था।इसलिए स्कूल से आकर खाना खाने के बाद चाचा के पास दुकान पर चला जाता।समय रुकता नही।समय का चक्र अपनी गति से घूमता रहता है।देवेन साल दर साल अगली क्लास में चढ़ता गया।मोहन, िदेवेन के बारे में सोचने लगा।बारहवीं पास करने के बाद उसे क्या कराया जाए।लेकिन मोहन सोचता उससे पहले हार्ट अटक से मोहन कज मौत हो गई।चाचा की मौत से देवेन को गहरा धक्का