चचेरी “प्रभात कुमार?” वाचनालय के बाहर वाले गलियारे में अपने मोबाइल से उलझ रहे प्रभात कुमार को चीन्हने में मुझे अधिक समय नहीं लगा| “जी..... जी हाँ,” वह अचकचा गया| “मुझे उषा ने आपके पास भेजा है.....” “वह कहाँ है?” उसे हड़बड़ी लग गयी, “उसका मोबाइल भी मिल नहीं रहा.....” “कल शाम दोनों बरिश में ऐसे भीगे कि उषा को बुखार चढ़ आया और उस का मोबाइल ठप्प हो गया,” मैं मुस्कुरायी| कल शाम उषा ने प्रभात कुमार ही के साथ बिताई थी| चंडीगढ़ में पांच दिन के लिए आयोजित की गयी इस साहित्यिक गोष्ठी में हम चचेरी बहनें लखनऊ