यादों के झरोखों से-निश्छल प्रेम (4)

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वर्तमान समय में नारी सशक्तिकरण की बातें चारों ओर सुनाई दे रहीं है।बात बहुत पुरानी है उस समय कोई इस तरह की बातें नहीं करता था।लेकिन हमारे आस-पास बहुत सी नारियाँ ऐसी थीं जिन्होने हमारे बाल मन पर गहरी छाप छोड़ी।बात उन दिनों की है जब हम जूनियर कक्षा में थे ।स्कूल से घर आने पर अल्पाहार लेने के बाद अपना गृहकार्य पूरा कर लेते थे, फिर अपने मित्रों के साथ खूब मस्ती करते हुए खेलते थे।हमारे घर के नज़दीक एक परिवार रहता था।उस परिवार की महिला बहुत मृदुभाषी,सरल स्वभाव की थीं ।हमारी माता जी को वह सासू मॉं की