चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 24

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चार्ली चैप्लिन मेरी आत्मकथा अनुवाद सूरज प्रकाश 24 अकेलापन घिनौना होता है। इसमें उदासी का हल्का सा घेरा होता है, आकर्षित कर पाने या रुचि जगा पाने की अपर्याप्तता होती है इसमें। कई बार आदमी इसकी वज़ह से थोड़ा शर्मिंदा भी होता है। लेकिन कुछ हद तक अकेलापन हर आदमी के लिए थीम की तरह होता है। अलबत्ता, मेरा अकेलापन कुंठित करने वाला था क्योंकि मैं दोस्ती करने की सारी ज़रूरतें पूरी करता था। मैं युवा था, अमीर था और बड़ी हस्ती था। इसके बावज़ूद मैं न्यू यार्क में अकेला और परेशान हाल घूम रहा था। मुझे याद है मैं