चेस्ट ऑफ ड्रॉवर...

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काम ख़त्म होने के बाद ज़रा कमर सीधी करने के ख़्याल से अर्पिता कमरे में आकर पलंग पर लेट गई. सुबह पांच बजे से उठकर जो गृहस्थी के कामों में लगती है, तो बारह-एक बजे जाकर सबसे ़फुर्सत मिलती है. तब तक कमर बुरी तरह से दुखने लगती है. साइड टेबल से एक पत्रिका उठाकर अर्पिता लेटे-लेटे ही उसके पन्ने पलट रही थी कि उसे याद आया, बेटी अनु को जल्दी ही स्कूल में अपना प्रोजेक्ट जमा करना है और उसके कुछ ज़रूरी काग़ज़ और चित्र मिल नहीं रहे थे. वो तीन-चार दिनों से अर्पिता से बोल रही थी कि