“भाग गई दलिद्दर”आर0 के0 लालराधिका को वह दिन कभी नहीं भूलता जब वह दीपावली के बाद वाली एकादशी को अपने गांव के घर से अपनी सासू मां के साथ सूप बजाते हुए दलिद्दर खेदते हुए दक्षिण दिशा वाले तालाब पर पहुंची थी। उसे पूरा विश्वास था कि उत्तर भारत के तमाम इलाकों में मनाए जाने वाले इस परंपरा से उसके घर से दरिद्र भाग जाएगी और वहाँ लक्ष्मी जी का वास हो जाएगा। जैसा हमेशा होता रहा है, घर की महिलाएं सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उजाला होने से पहले ही अपने घर के सभी कोनों पर सूप बजाती हुई तथा