सुरेश पाल जी को रात को अचानक हार्ट अटैक हुआ । रात के दो बजे उन्हें लेकर अस्पताल भागे । शहर के सबसे अच्छे अस्पताल में एडमिट करवाया जहाँ दुनिया भर की सुविधाएँ थी । फिर भी पम्मी घर बच्चों को सँभाले बैठी थी, पर बच्चे बार बार मम्मी पापा को याद कर रहे थे । घर मानो अस्पताल ही बन गया । हरेश और पम्मी हर पल सुनयना के साथ खड़े रहे । अनब्याहे देवर व ननद उसे फूटी आँख न सुहाते आज वही दोनों सब सँभाले हैं । घर, बच्चे, दुनियादारी ... सब ! "हरेश को कभी अकेला