कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 34)

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अर्पिता आकर कमरे में बैठ जाती है और कुछ देर रेस्ट करने लगती है। जरा सा फ़्री होते ही वो यादों की गलियों में पहुंच जाती है।जहां वो और उसके मां पापा होते हैं। अप्पू :- मां पापा अगर आज यहां होते और उन्हे ये पता चलता कि हम अब और ज्यादा जिम्मेदार हो गए है तो खुशी से फूले नहीं समाते।बहुत खुशी होती उन्हे।लेकिन आज न जाने वो कहां है।काश हमारे पास कोई जादू की।छड़ी होती तो हम छड़ी घुमाते और फटाक से अपने मां पापा का पता लगा लेते।लेकिन अब हमे इंतजार ही करना होगा।।सच में कभी कभी