रत्नावली रामगोपाल भावुक चौदह भूतकाल की घटनायें वर्तमान के लिए प्रेरक का कार्य करती हैं, जब हम भविष्य के लिए योजनायें बुनने लगते हैं। तब भूतकाल के अनुभवों के कारण भटकाव का भय नहीं रहता। मैंने तो ऐसे ही उनके पथ को पल्लवित करने का व्रत लिया है। अब उनसे मिलने तो जाना ही है। देखें, वे मेरे बारे में क्या हल निकालते हैं ? हे राम जी, जरा उनके मन में बैठ जाना। हे सीता मैया उनके मन को फेर देना। बस मुझे शरण दे दें। मैं कभी उनके पथ में रोडे़ बनने का किन्चित