रत्नावली रामगोपाल भावुक तीन दीनबंधु पाठक की पत्नी बहुत पहले ही चल बसी थी। भाई विंदेश्वर की पत्नी केशर और उसका लड़का गंगेश्वर, उसकी पत्नी शान्ती घर के सदस्यों में थे। इसके अतिरिक्त रत्नावली एवं उसका पुत्र तारापति का भार और अधिक बढ़ गया था। जब से पण्डित दीनबन्धु पाठक ने यह सुना कि दामाद ने वैराग्य ले लिया है तब से वे भी मन से पूरे बैरागी बन गये। घर गृहस्थी में मोह न रह गया था। घर चलाने की दृष्टि से मन से बैरागी होने के बाद भी वे पाँण्डित्य वृति से नाता