प्रशांत जी अर्पिता को थाम कर उसे सीधा बैठाते है और अपने बैग में से बोतल निकाल कर उसके मुंह पर पानी के छींटे मारते हैं।कुछ ही क्षण में अर्पिता की मूर्छा टूटती है।वो अपनी आंखें खोलती है तो सामने प्रशांत जी को देख वो चौंक जाती है।एक पल को तो वो ये समझ नही पाती है कि ये सपना है या हकीकत।लेकिन जब अपने चारों देखती है तो उसे अपने जीवन की वो कठोर घटना याद आती है जिसका उससे अभी कुछ देर पहले ही सामना हुआ है।प्रशांत को देख अर्पिता फूट फूट कर रोने लगती है और उससे