अर्पिता की नजर खंभे के पास खड़े एक शख्स पर पड़ती है।एक क्षण को तो वो चौंक जाती है।अपनी आंखें और फैलाती है देखती है और धीरे से कहती है प्रशांत जी यहां!! इतनी सुबह सुबह कैसे? कहीं ये हमारा वहम तो नही है।बहम ही होगा।नही तो इतनी सुबह सुबह प्रशांत जी यहां क्या करेंगे।।खंभे के पास खड़ा शख्स हल्का सा मुस्कुराता है।उसे मुस्कुराते देख अर्पिता कुछ क्षण उसे देखती रह जाती है। हेल्लो!! आगे बढिए टिकट लीजिये!! हेल्लो!! अरे कहाँ खोई है आप।।सुनिए ..! अर्पिता को अपने कंधे पर किसी का हाथ रखा हुआ महसूस होता है।वो चौंकते हुए