नासाज़ - 5

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अध्याय तीनबग्गे की दौड़पापलॉस की जुबानीमैं कब कब्र में ही सो गया और मेरी आंख लग गई पता ही नहीं चला , पर अब एक चमकीली सुबह की चिलचिलाती धूप मेरे शरीर में पड़ी, जिससे मेरा शरीर जल उठा, मेरे महंगे कत्थे रंग के अर्मनी सूट में सिलवटें पड़ गई थी , मेरा पूरा शरीर एक अजीब से दर्द से बाहर निकलने कि जद्दोजहद कर रहा था, मेरा पीठ और मेरा पिछ्वाड़ा बहुत जोरों से दर्द कर रहा था, और मेरा सर इस आती हुई धूप की रौशनी में चकराने लगा, तभी मेरे कानो में फोन की घंटी बजी, यह