वो सभी अर्पिता को लेकर निकल जाते हैं।अर्पिता वेन में बेहोश पड़ी हुई होती है। उधर अपने ऑफिस के केबिन में बैठ कर लंच करते हुए प्रशांत जी की आंखो के सामने अचानक से अर्पिता का चेहरा आ जाता है।उनके मुंह से अचानक ही अर्पिता का नाम निकलता है और वो निवाला छोड़ कर टिफिन बंद कर रख देते हैं। हाथ धुल कर खड़े हो मन ही मन कहते है ये इश्क की राहें आसान नहीं है। कही खुशी तो कही आंखो में नमी है। उनके एक ख्याल से उड़ जाता है चैन यहां। उधर हजरतगंज के एक रेस्टोरेंट में