बारह पन्ने - अतीत की शृंखला से पार्ट 4

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जब माँ दोपहर में बाहर नहीं निकलने देती थी तो गिट्टे और नक्की बजाने का सिलसिला चलता । पड़ोस में मकान बनाने को आयी बजरी में से ढेर सारे अच्छे अच्छे पत्थर छाँटकर इकट्ठा करके उनमे से भी पाँच गोल गोल पत्थर छाँट लेते और उन से गिट्टे खेलते बाक़ी बचे पत्थर नक्की खेलने में काम आते ।इस तरह अपने अलग ही तरह के खिलौने और खेल बना लेते थे हम ।।तब आज की तरह गर्मियों की छुट्टियों में ढेर सा होमवर्क तो मिलता नहीं था ,और ना ही कोई समर केम्प आदि होते थे