छोड़ा हुआ आदमी

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"हमें तो बचपन से ही इस तिरस्कार को सहने की आदत होती है। बेटों को हमसे ज्यादा आज़ादी देकर हमारे सपनों को तिरस्कृत किया जाता है। हमें पर्दे में रहना चाहिए ये कहकर हमारी आज़ादी को तिरस्कृत किया जाता है। तुम मुझे क्या डरा रहे हो!! अपनी फिक्र करो तुम एक छोड़े हुए आदमी बनकर, कैसे जी पाओगे??"- वसुधा ने बड़ी निर्भीकता